5 Simple Statements About bhairav kavach Explained

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इदं कवचमज्ञात्वा काल (काली) यो भजते नरः ।

महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा ।



साधक कुबेर के जीवन की तरह जीता है और हर जगह विजयी होता है। साधक चिंताओं, दुर्घटनाओं और बीमारियों से मुक्त जीवन जीता है।

ನೇತ್ರೇ ಚ ಭೂತಹನನಃ ಸಾರಮೇಯಾನುಗೋ ಭ್ರುವೌ

ॐ ह्रीं अन्नपूर्णा सदा पातु website चांसौ रक्षतु चण्डिका ।

बटुक भैरव कवच का व्याख्यान स्वयं महादेव ने किया है। जो इस बटुक भैरव कवच का अभ्यास करता है, वह सभी भौतिक सुखों को प्राप्त करता है।

पातु साकलको भ्रातॄन् श्रियं मे सततं गिरः

पातु मां बटुको देवो भैरवः सर्वकर्मसु

उन्मत्तभैरवः पातु हृदयं मम सर्वदा ॥ १७॥

ನೀಲಗ್ರೀವಮುದಾರಭೂಷಣಶತಂ ಶೀತಾಂಶುಚೂಡೋಜ್ಜ್ವಲಂ

मन्त्रग्रहणमात्रेण भवेत सत्यं महाकविः ।

कुरुद्वयं महेशानि मोहने परिकीर्तितम् ॥ ८॥

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